नेटवर्क मार्केटिंग में इंटरव्यू – इंटरव्यू खेलना है।
यह दो भागो में, या यूँ कहिए कि दो पहलुओं में बंटा हुआ है। दोनों पहलुओं को बारीकी से समझना ज़रूरी है।
पहला भाग : पहले भाग में हमें अपना इंटरव्यू देना होता है। जी हाँ, आप इंटरव्यू देने जाते है।
मान लीजिए कि आपको नौकरी की सख्त ज़रूरत है। तो आप जानते है की नौकरी घर चलकर तो नहीं आती। आप को ही कंपनी में एप्लाई करना होता है, बादमे उस कंपनी में जाकर इंटरव्यू देना होता है।
क्या करते है आप जब आप इंटरव्यू देने जाते है ??? आप पूरा प्रयास करते है कि आप का इंटरव्यू एक दम बढ़िया हो, सबसे बढ़िया हो, क्योंकि कंपनी में और भी बहोत से लोग इंटरव्यू देने आए हुए है। और आपको हर हाल में यह नौकरी चाहिए, इसलिए आप पूरी तयारी के साथ जाते है। पुरे उत्साह से इंटरव्यू को फेस करते है, सभी इंटरव्यू राउंड्स में मैनेजर्स को इम्प्रेस करने का पूरा प्रयास करते है। सभी प्रश्नो के जवाब कॉन्फिडेंस से देते है। पोसिटिव माइंडसेट रखते है, और अपनी ओर से कोई गलती, कोई चुक होने की गुंजाईश नहीं छोड़ते। नहीं तो नौकरी में सिलेक्शन नहीं होगा। इंटरव्यू में रिजेक्ट होने से ज़्यादातर लोग नकारात्मक महसूस करते है।
ठीक उसी तरह, नेटवर्क मार्केटिंग में जब आप अपने प्रोस्पेक्ट को बिज़नेस प्लान दिखाने जाते है, तब आप एक तरह से इंटरव्यू देने ही जाते है। आपके पास पूरी जानकारी होनी चाहिए, नहीं तो आप हड़बड़ाते है, और प्रोस्पेक्ट इसे भाँप लेता है। बिज़नेस अच्छा हो भी, तब भी वो आपके साथ उस बिज़नेस को जॉइन नहीं करता।
आपके अंदर उत्साह होना चाहिए, अपने बिज़नेस पर पूरा विश्वास होना चाहिए। यह आपके प्लान प्रेसेंटेशन में झलकता है, और आप अपना सबसे बढ़िया प्रेसेंटेशन दे पाते है। और आपका बिज़नेस प्लान पास हो जाता है। और प्रोस्पेक्ट आपको और आपके बिज़नेस को जॉइन करता है। याद रखे, आपको हर हाल में अपने प्रोस्पेक्ट को इम्प्रेस करना ही करना है। इसलिए तैयारी पूरी होनी चाहिए।
भाग 2 : दूसरे भाग में हमें इंटरव्यू लेना होता है। प्रोस्पेक्ट का।
यह माइंडसेट सफलता के लिए बहोत ज़रूरी है। दुनिया के अनुभवी और दिग्गज लीडर्स इस माइंडसेट को अपनाते है। इस माइंडसेट की अहमियत को जानते है, और अपने टीम को यह माइंडसेट सीखाते है।
इस भाग में आप प्रोस्पेक्ट को इंटरव्यू में क्वालीफाई करते है। आपको यह देखना होता है कि आप तो सबसे बढ़िया बिज़नेस ओप्पोरच्युनिटी प्रोस्पेक्ट को देंगे, लेकिन क्या वो वास्तव में इस मौके का फायदा उठा पायेगा भी या नहीं ? अगर वो बिज़नेस में शामिल हो भी गया, तब भी क्या वो इस बिज़नेस में सफल हो पाएगा ? प्रेसेंटेशन देते समय आप अपने बात चीत का अंदाज़ कुछ ऐसा रखते है, कि प्रोस्पेक्ट को सही चुनाव करना पड़े। और आप भाँप लेते है कि वो कितना सफल हो पायेगा। आपको उसे सफल बनाने के लिए कितना मेहनत करना होगा और क्या तैयारी रखनी होगी, उसकी कैसे तैयारी करवानी होगी। वो वास्तव में लायक है भी या नहीं, आप के टीम में शामिल होने के।
आप चाहे किसी व्यक्ति को सफल बनाने कि कितनी भी कोशिश करे, अगर वो मानसिक रूप से बदलने को तैयार नहीं है, सीखने को तैयार नहीं है, अपने आप को बदलने को तैयार नहीं है, तो ऐसे व्यक्ति आपके साथ शामिल हो भी जाए, तब भी ज़्यादा आगे नहीं जा पाएंगे। सफल होने की प्यास होना भी ज़रूरी है। यह समझने के लिए नीचे दिया गया पोस्ट ज़रूर पढ़े।
और आपको बतौर नेटवर्कर यह देखना होगा कि उसमे सफल होने की तीव्र इच्छा है या नहीं। जी हाँ, यही इंटरव्यू लेना है। ऐसे बहोत से लोग है जिन्हे आप सफलता थाली में सजाकर परोस दो, तब भी वे हाथ बढ़ाकर निवाला अपने मुँह तक लाना नहीं चाहेंगे। आपको ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत नहीं है जो पहले से ठहरा हुआ हो, सफलता की कीमत न चुकाना चाहता हो।
बहोत से नेटवर्कर्स और आम लोगो में समझ शक्ति का अभाव भी होता है। वे सही मौके को गलत मौके से अलग नहीं कर सकते। अच्छे मौके और ख़राब मौके का अंतर नहीं समझते। इसलिए अगर ऐसे लोग आपके साथ शामिल हो भी जाए, तब भी वे कुछ समय बाद अपना उत्साह खो बैठते है, और कुछ महीनो बाद बिज़नेस में निष्क्रिय हो जाते है।
ज़्यादा से ज़्यादा इंटरव्यू – इंटरव्यू खेलते रहिए। खेल का आनंद ले। और बढ़ते रहिए।