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एक सत्य घटना

वॉशिंगटन में एक रेलवे सबवे स्टेशन पर एक व्यक्ति अपनी गिटार बेग लेकर चलता हुआ नज़र आया। उसने एक हेट पहेन रखी थी, आँखों पर काले गॉगल्स थे और दाढ़ी बढ़ी हुई थी। देखने में इसका व्यक्तित्व काफी आकर्षक व् प्रभावशाली था।

 

सबवे स्टेशन में हज़ारो लोगो की भीड़ थी। एक बेंच के पास पहुंचकर इस व्यक्ति ने अपने बेग में से अपनी गीटार निकाली, और बेग कुछ आगे रख दिया जिससे लोग उसमे पैसे डाल सके। अपनी गीटार उठाकर यह व्यक्ति कुछ बहोत ही सुन्दर धुन व् गाने बजाने लगा जो उस समय काफी पॉप्युलर थी।

 

 

 

तीन मिनट बीत जाने के बाद एक बूढ़ा व्यक्ति उसके गीत सुनने करीब एक मिनट के लिए रुका। उसने कुछ डॉलर वहाँ रखे बेग में डाले और आगे बढ़ गया। इस प्रकार पहले कुछ डॉलर आने की शुरुआत हुई। कुछ १० मिनट बाद एक मध्यम उमर का व्यक्ति वहाँ रुका और गीत के मज़े लिए। ५ मिनट बाद कुछ डॉलर बेग में डालकर वो चल दिया। कुछ पंद्रह मिनट बीत जाने के बाद कुछ और लोग कुछ समय के लिए गीत सुनने के लिए रुके और उन्होंने भी कुछ डॉलर बेग में डाले।

 

25 मिनट बाद एक स्त्री जो काम पर जा रही थी कुछ समय रूककर गीत सुनने लगी। उसने जाते हुए कुछ डॉलर बेग में डाले। 35 मिनट बीत जाने के बाद एक बच्चा वहां गीत के मज़े लेने लगा। लेकिन 5 मिनट बाद उसकी माँ उसे अपने साथ खीच ले गयी। अगले 20 मिनटों में कुछ और लोग वहां रुके और कुछ पैसे बेग में डालकर वे भी आगे बढ़ गए।

 

इस प्रकार एक घंटा बीत गया और इस व्यक्ति ने गिटार बजाना बंध कीया, बेग उठाई और पैसे निकालकर गिनने लगा। कुल 32 डॉलर इक्कठे हुए थे। उस व्यक्ति ने गीटार वापिस बेग में भरी और वहाँ से चला गया।

 

गीटार बजाने वाले व्यक्ति का नाम था जोशुआ बेल जो दुनिया का प्रसिद्द व् नामचीन म्युज़िशियन है। पूरी दुनिया उसकी धुनों पे फ़िदा होकर नाचती है। वह अपना रूप बदलकर स्टेशन पर गीटार बजा रहा था। इस कारण कोई उसे पहचान ना सका। जो गीटार वो बजा रहा था उसकी कीमत करीब एक करोड़ पचीस लाख रुपये थी।

 

दो दिन पहले ही उसने एक कॉन्सर्ट किया था जिसमे पूरा स्टेडियम भरा हुआ था। उस कॉन्सर्ट में एक टिकट की कीमत 100 डॉलर थी हाऊसफूल होने के कारण कई लोगो को टिकट नहीं मिला। हालांकि यही व्यक्ति जब रेलवे सबवे स्टेशन पर वही गीत बजा रहा था तो वो केवल 32 डॉलर इक्कठा कर पाया।

 

      

 

इस घटना में समझने वाली बात यह है के जोशुआ की प्रतिभा, मेहनत या गीटार बजाने की काबिलियत में कोई कमी नहीं थी। तकलीफ उसके गीटार बजाने की जगह के चुनाव में था। यह सर्वे इसलिए किया गया ताकि लोगो को इस उदाहरण के ज़रिये यह दर्शाया जा सके की अपने करियर में अगर आपका प्लेटफॉर्म का चुनाव गलत हो, तो फिर चाहे आप कितनी भी मेहनत कर ले, आप चाहे कितने भी टेलेंटेड क्यों न हो, आप जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे।

 

दोष आपके टेलेंट या मेहनत में नहीं है, बल्कि आपके टेलेंट को जिस प्लेटफॉर्म पर उपयोग में ले रहे है उसके चुनाव में है। इसलिए प्लीटफ़ॉर्म का सही चुनाव करे।

 

इम्पैक्ट बिज़नेस की रचना एक आम आदमी को सही प्लेटफॉर्म देने के लिए किया गया है ताकि कोई भी इंसान इसमें बनाये सिस्टम का अनुसरण करके कम मेहनत से अपने जीवन में वो सब हासिल कर सके जो भारत के 1% लोग से कम लोग हासिल कर पाते है। शांति के साथ पैसा, समय, बेहतर लाइफस्टाइल, नए दोस्त और बहोत कुछ।

 

 

 

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