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Accept the truth! Don’t get FOOLED!

 

एक वास्तविक घटना आपसे शेर करना चाहूंगा।

 

अकसर हमें जीवन में सब कुछ होते हुए भी असंतुष्टि का अनुभव होता है। और हम बिना वजह फरियाद करते है। हम अपने ही आँखों पर हाथ रख देते है और फिर चीखते है के बहोत अँधेरा है, कुछ दिखाई नहीं दे रहा।

 

कल एक व्यक्ति इम्पैक्ट बिज़नेस प्लान देखने आया जो नेटवर्क मार्केटिंग में ठीक ठाक अनुभव रखता है। उसे कई कंपनियों का अनुभव है। आश्चर्य यह था के इम्पैक्ट बिज़नेस देखने के बाद भी वो ख़ास प्रभावित नहीं हुआ। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की। मुझे लगा शायद वो मेरे समझाने के बाद भी ठीक से समझ नहीं पाया है अब तक बिज़नेस को। ऐसा अकसर बहोत से लोगो के साथ होता है।

 

तो मैने रुक कर पूछ लिया के उसे बिज़नेस कैसा लगा ?

 

उसने उत्तर में कहा “ठीक है सर, आपका प्लान।”

 

अब उसे एहसास दिलाने की ज़रूरत थी। क्योंकि मुझे महसूस हुआ के वो सच को देखकर और समझकर भी स्वीकार नहीं करना चाहता था।

 

मैने उससे पूछा के क्या जॉइनिंग और रिपर्चेस पर इतनी अच्छी वैल्यू फॉर मनी उसने कहीं और देखा है ? अगर हां, तो कौनसी कंपनी में ? वो मौन रहा।

 

मैने आगे पूछा के इससे अच्छा कंपेनसेशन प्लान उसने कहीं और देखा है ? कौनसी कंपनी इतने अच्छे पैकेज के साथ इतना अच्छा पैसा कमाने का मौका भी देती है ? वह भी केवल 3600 Rs में ? जिसमे आप चाहो तो थोड़ा बहोत काम करके अपने घर का राशन भारी डिस्काउंट पर पा सकते हो।

 

सामान तो बाहर से भी लेना ही है। लेकिन मेरी अपनी दूकान से लेकर, और थोड़ा बहोत काम करने से इतना कमीशन आ जाता है कि सामान फ्री हो जाए। और थोड़ी सी लीडरशिप और टीम बिल्ड कर लेने पर आप हमेशा के लिए आर्थिक स्वतंत्रता पा सकते है। सामान भी नेशनल ब्रैंड्स के मिलते है। सही मूल्य पर। बताइए अगर आपके ध्यान में कोई और ऐसी कंपनी है क्या ? वह व्यक्ति एक बार फिर निरुत्तर था।

कहानी आगे भी चली, लेकिन संक्षिप्त में बात कहु तो आज लोग सच सुनकर निर्णय नहीं लेते, या शब्द सुनकर मन नहीं बनाते। उन्हें दिखावा चाहिए, बनावट चाहिए, चमक दमक और ठाठ चाहिए। वे यही सब देखकर, बड़ी बड़ी बातें सुनकर बार बार मुर्ख बनते है। अपना दिमाग, अपनी समझ और सूझ-बूझ का उपयोग नहीं करते।

 

इम्पैक्ट बिज़नेस की क़द्र आपको सिर्फ तभी होगी जब आप दूसरे कंपनियों के प्रोडक्ट, वैल्यू फॉर मनी और प्राइस कम्पेरिसन करेंगे।

 

इसलिए अगर मन में कोई शंका हो, संदेह हो इम्पैक्ट के प्रति, तो केवल एक काम करे। किसी और कम्पनी में जाकर 3 महीना काम करे। देखिये वहां क्या करना पड़ता है, वहां क्या बेचना पड़ता है, क्या लेना पड़ता है ? मै बहोत से लोगो के संपर्क में आता हूँ जो दूसरे कंपनियों में औरो को ठगने से भी नहीं कतराते। किसी और के नुकसान का नहीं सोचते, अंत में बहोत से लोगो का नुकसान होगा यह उन्हें पता होता है, लेकिन फिर भी यह उसका हिस्सा बनते है,  क्योंकि उनके जेब में पैसा आ रहा होता है।

 

तो मै फिर कहूंगा के इम्पैक्ट की क़द्र न हो तो कुछ और करके देख लो। आप ज़्यादा मेहनत करके कम पैसा कमा रहे होंगे।

 

आश्चर्य की बात है के आज अगर किसी को 30000 Rs से 50000 Rs की तनख्वाह दुबई में मिले, तो वह देश छोड़कर, अपने परिवार से कोसो दूर वहां कड़ी मेहनत करने चला जाएगा।

 

लेकिन इम्पैक्ट बिज़नेस में आसान काम, केवल 500 घंटा करने के लिए कहो, तो व्यक्ति अपनी पूरी अक्कल खर्च करता है, टटोलने में अपनी एनर्जी वेस्ट करता है, लेकिन थोड़ा विश्वास रखकर काम नहीं करता।

 

परिणाम यह आता है कि वो 60 साल की उम्र तक, अकसर उसके बाद भी केवल बिल भरने के लिए काम करता रहता है।

 

केवल अपने बारे में, अपनी समस्याओ के बारे में सोच पाता है, और उतना ही करता है जिससे उसका गुज़ारा हो जाए। शायद इसी को स्वार्थ से भरा जीवन कहते है।

 

भगवान ने जब भी अवतार लिया, यही सिद्ध किया कि लोक कल्याण के लिए निःस्वार्थ भाव से काम करके, औरो की सेवा करके जीवन व्यतीत करना संभव है। और ऐसे जीवन द्वारा अंत में उसी परमात्मा को मनुष्य प्राप्त करता है। जो मनुष्य का परम और अंतिम लक्ष्य भी है। लेकिन जो व्यक्ति केवल अपने समस्याओ के बारे में सोचे, अपने लाभ के बारे में सोचे उसे यह बात समझ नहीं आती। और वो सुख दुःख से प्रभावित होता रहता है, संसार में बँधा रहता है।

 

साथियों, इम्पैक्ट बिज़नेस को लोक कल्याण के लिए करो। सूर्य सभी के लिए समान उगता है। पवन हमेशा बहती रहती है। जिन कश्तियों के मांड खुले होते है वे सही दिशा में आगे बढ़ते जाते है। बाकी भटक जाते है।

 

मनुष्य को उसका मन हमेशा भटकाता रहता है। कभी ज्ञान से, कभी मोह से, अहंकार से, क्रोध से, लोभ से, डर से, शंका से, वासना से। और वह गलत दिशा में भटक जाता है। आत्मा की आवाज़ सुनो। तभी कर्त्तव्य की समझ आएगी।

 

नेटवर्क मार्केटिंग में बड़ी बड़ी बातें प्रभावित बहोत करती है लेकिन वास्तविकता उसके विपरीत होती है। इनमे मत उलझो। इम्पैक्ट का भाग बनने से कम से कम आप गलत कंपनियों में फंसने से बच जाओगे।

 

इंसान की पहचान उसके शब्दों से नहीं होता। उसका आचरण ही उसका परिचय होता है।

 

नेटवर्कर्स के बड़ी बड़ी बातो में उलझने से बेहतर है सही को पहचानकर, उसमे काम करके आगे बढ़ो।

 

उस व्यक्ति से अंत में मैंने पूछा के मान लीजिए आप इम्पैक्ट नहीं करते, तो फिर कौनसी कंपनी या काम करेंगे? और उसमे कितनी मेहनत करनी होगी अच्छी इनकम लेने के लिए कृपया बताए। पैसे भरने पर क्या प्रोडक्ट्स और सिस्टम मिलेगा? प्लान समझने आए हुए व्यक्ति ने कोई जवाब नहीं दिया। जो इम्पैक्ट ऐ.डी.पि. उसे लेकर आया था, उसका कॉन्फिडेंस अब आसमान को छू रहा था। अब वह इम्पैक्ट के प्रति पहले से ज़्यादा सकारात्मक था। बिज़नेस धीरे धीरे ही समझ आती है। केवल करते रहने की ज़रूरत है।

 

 

अगर पूरा समूह गलत दिशा में जा रहा हो, तब भी आप अकेले सही दिशा में जाये। क्योंकि सफल होने वाले लोग हमेशा कम ही होते है। क्लास में अव्वल नंबर कम बच्चो के ही आते है।

 

मै आशा करता हूँ के पढ़ने वाले व्यक्ति समझदार है और समझदारी से काम लेंगे। वेबसाइट पूरा पढ़े

 

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