जिन्हे सच में सफल होने की प्यास है वे बेतुके प्रश्नो में नहीं उलझते। अवसर को सही जानकार तुरंत कर्मो में जुट जाते है।
क्या सच में आप में सफल होने की प्यास है ?
ट्रेन में सफर के दौरान, एक लड़का पानी बेच रहा था। एक सेठ जी ने उसको पानी लेने के लिये रोका। ओर उस पर सवालों की बौछार सी कर दी।
एक गिलास पानी की कीमत एक रूपए क्यों?
यह पानी कहाँ से लेते हो ?
कितना कमा लेते हो ?
ओर तुम्हारे क्या ओर भी साथी है??
वगरैह ! वगरैह!
वह लड़का चुपचाप सब सुनता रहा ओर अचानक वहां से बिना कुछ कहे आगे बढ़ गया।
सेठ जी उसको आवाज लगाते रह जाता है।
ओर वो लड़का उनको इग्नोर कर के वहां से निकल जाता है और दूसरे लोगो को पानी पीलाने में व्यस्त हो जाता है।
दूर से एक व्यक्ति जो यह सब देख रहा होता है, उसके पीछे पीछे जाता है और अगले डिब्बे पर उसे रोक कर पूछता है। “अरे वह सेठजी तुम्हे आवाज़ लगाते रह गए, तुमने उन्हें पानी क्यों नहीं दिया।”
उस लड़के ने बताया “उन सेठ साहब को प्यास थी ही नही। जिन्हे सच में प्यास लगी होती है वे सवाल जवाब नहीं करते। पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेते है। यह मेरे रोज़ का काम है। रोज़ ऐसे सेठजी मिलते रहते है जिन्हे सिर्फ टाइम पास करना होता है। उन्हें वास्तव में प्यास लगी नहीं होती। उन्होंने मेरा समय ही खराब किया।
इस छोटे से किस्से से काफी कुछ सीखने को मिल सकता है। आजकल ज़्यादातर नेटवर्कर्स को सफल होने की प्यास नहीं है। उनकी दिलचस्पी वकालत करने में ज़्यादा है। यह लोग कंपनी में वकालत तो अच्छे से कर लेते है, लेकिन करियर इनका नहीं बन पाता। कंपनीया इन जैसे वकीलों के सवालों से पहले से परिचित होते है। और तुरंत इन्हे कंपनी के लीगल डॉक्युमेंट्स, हाई प्रोफ़ाइल, प्रोडक्ट रिज़ल्ट्स, सर्टिफिकेट्स, कुछ इनकम अर्नर्स के स्टेटमेंट दिखाकर इन्हे लपेटे में ले लेते है। महीनो और सालो बीत जाता है, पर इनके हाथ कुछ नहीं लगता।
